Last modified on 29 सितम्बर 2020, at 21:34

सरकार / हरिओम राजोरिया

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 29 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिओम राजोरिया |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सरकारी उपक्रम हो गए बेकार
इन्हें बेचे नहीं तो क्या करे सरकार
क्या-क्या याद रखे
कहाँ-कहाँ जाए
फिर भी पता कर रही है सरकार
सरकार को पता चला है कि
सरकार को कुछ पता नहीं है

सरकार का काम सरकार चलाना है
सरकार चल रही है
चलती ही चली जा रही है
आपनी चाल से चल रही है
करोड़पतियों के साथ चल रही है

कितने लोग पीछे छूट गए
कितने गिरते-पड़ते-हाँफते
सरकार के पीछे-पीछे दौड़ रहे हैं
सरकार मुड़कर नहीं देखती
सरकार सरकार होती है
सरकार सरकार की तरह से काम करती है

चलती ही चली जा रही है सरकार
पता नहीं, कहाँ जा रही है सरकार ?