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सरक आती है कान की प्याली में / तेजी ग्रोवर

सरक आती है कान की प्याली में —
                 सुबह की स्नेह सरीखी धूप

जब कोई बासी-मुँह सोया पड़ा है अभी उनींदी रात के बहाने

सुबह के पाखी देर तक कूकते हैं आम की महक में
बताओ मुझे—
        कहाँ है वह रेखा पानी की
        खींच सकते हो जिसे
        उस और इस पार के बीच?