यूँ रोने का कोई नतीज़ा नहीं मगर दिल पे काबू किसी का नहीं सही है कि दो और दो चार लेकिन सरल ये गणित हमने सीखा नहीं न हो कैफे-मस्ती न दीवानगी तो वो मिल जाए ऐसा तरीका नहीं सतह पर टटोले न डूबे न भीगे ये शेरो-सुखन का तरीका नहीं है