देवी सरस्वति कोटि प्रणाम
भगवति भारति भूरि प्रणाम।
श्वेत कमल सुन्दर आसन अछि
श्वेत हंस सुन्दर वाहन अछि
श्वेत वस्त्र सुन्दर सुवसन अछि
सुरभित शोभित अंग ललाम।
भगवति भारति भूरि प्रणाम।
मुक्ताहार सुशोभित गरमे
वीणा पुस्तक शोभित कर मे
माला पुष्पक शोभित उर मे
सुर सेवित पूजित सबठाम।
भगवति भारति भूरि प्रणाम।
विद्यादायिनि मातु अहीं छी
जड़ताहारिणि मातु अहीं छी
कल्पलता सनि वृक्ष अहीं छी
जाऊ कहां तजि चरण ललाम।
भगवति भारति भूरि प्रणाम।
देवी सरस्वति कोटि प्रणाम॥