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सर्दियों में एक यात्रा के दौरान / अदनान कफ़ील दरवेश

1

धुन्ध में डूब रही है सड़क
जितनी डूबती है उतनी ही दिखती भी है
इसके यूँ डूबने और उग आने में
एक कराह शामिल है
जिसे सुनकर आँखें भर आती हैं ।

कितने लाचार हैं हम
जो ठीक
इस सड़क की तरह ही
अपने समय में आधे धँसे
और
आधे उभरे हुए हैं ...।

2

सड़क जानती है
कि हमें कहाँ जाना है
इसीलिए तो बूढ़ी पहाड़न-सी
अपने पीठ पर गट्ठर-सा लादे हुए
हमें ढो रही है ।

सड़क ने बहुत लम्बी यात्रा कर ली है
उसे मालूम है
सारे ख़तरनाक मोड़

हमें अपनी ढलान से आगाह करती हुई
बूढ़ी सड़क
हमें और ऊपर ले जा रही है
कभी-कभी तो लगता है कि हम
सड़क के ऊपर भी
और सड़क के भीतर भी
यात्राएँ कर रहे हैं

वो लम्बी यात्राएँ जिन्हें तय कर चुकने के बाद
हम वो जान पाएँगे
जिन्हें सड़क ने हमसे बहुत पहले ही
जान लिया है !