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+ | * [[जो दिल में दाग़ जल रहे हैं / सलीम अहमद]] | ||
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+ | * [[कोई सितारा-ए-गिर्दाब आश्ना था मैं / सलीम अहमद]] | ||
+ | * [[लम्हा-ए-रफ़्ता का दिल में ज़ख़्म सा बन जाएगा / सलीम अहमद]] | ||
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+ | * [[वो मिरे दिल की रौशनी वो मिरे दाग़ ले गई / सलीम अहमद]] | ||
+ | * [[ज़िंदगी मौत के पहलू में भली लगती है / सलीम अहमद]] |
10:36, 17 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
सलीम अहमद
जन्म | 1927 |
---|---|
निधन | 1983 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
सलीम अहमद / परिचय |
ग़ज़लें
- बैठे हैं सुनहरी कश्ती में और सामने नीला पानी है / सलीम अहमद
- बन के दुनिया का तमाशा मोतबर हो जाएँगे / सलीम अहमद
- देखने के लिए इक शर्त है मंज़र होना / सलीम अहमद
- दिल के अंदर दर्द आँखों में नमी बन जाइए / सलीम अहमद
- दुख दे या रूसवाई दे / सलीम अहमद
- जाने किसी ने क्या कहा तेज़ हवा के शोर में / सलीम अहमद
- जो आँखों के तक़ाज़े हैं वो नज़्ज़ारे बनाता हूँ / सलीम अहमद
- जो दिल में दाग़ जल रहे हैं / सलीम अहमद
- कल नशात-ए-क़ुर्ब से मौसम बहार-अंदाज़ा था / सलीम अहमद
- कोई सितारा-ए-गिर्दाब आश्ना था मैं / सलीम अहमद
- लम्हा-ए-रफ़्ता का दिल में ज़ख़्म सा बन जाएगा / सलीम अहमद
- मिला जो काम ग़म-ए-मोतबर बनाने का / सलीम अहमद
- मुझे इन आते जाते मौसमों से डर नहीं लगता / सलीम अहमद
- न जाने शेर में किस दर्द का हवाला था / सलीम अहमद
- वो मिरे दिल की रौशनी वो मिरे दाग़ ले गई / सलीम अहमद
- ज़िंदगी मौत के पहलू में भली लगती है / सलीम अहमद