भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सहमति / प्रमोद कौंसवाल

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:10, 23 मई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद कौंसवाल |संग्रह= }} मैं इस बात पर सहमत हूं कि मुझ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं इस बात पर सहमत हूं कि मुझे आम सहमति पर
यकीन है। मै अब्दुल कलाम के बालों को लकर
इस आम सहमति में शामिल नहीं हूं। बाल ऐसी चीज़ हैं
जो राष्ट्रपति बनने के बाद न तो घटते हैं बढ़ते हैं और
न उनके टूटने की रफ़्तार पर कोई असर पड़ता है। लेकिन
बाल ही क्यों इस बात की आम सहमति में शामिल
नहीं हूं मैं कि सोनिया गांधी को इटली के मूल का
होने से वह प्रधानमंत्री नहीं बन सकतीं।
जो जनपथ घूम सकता है कनाट सर्कस में ख़रीदारी कर
सकता है वह मेरे हिसाब से संवैधानिक तौर पर
हर हक़ में शामिल है। मैं मोरारजी देसाई के पेशाब पीने के
हक़ में भी था और बंशीलाल की शराबबंदी
खोलने के भी। मैं हरामख़ोरी और इस जैसी प्यार
में दी गई तमाम गालियों से सहमत हूं। लेकिन इस सहमति का
मतलब यह नहीं कि मुझे और आपको ख़ूब गालियां देनी चाहिए।
हमें उनको तो गालियां देनी ही हैं जो गांधी के
गाल क़िस्से के खलनायक हैं। सीधे गांधी को गाली देने के
मायने गाली की परंपरा से छिटकना बल्कुल भी नहीं है।