Last modified on 24 अगस्त 2010, at 13:19

सहमते स्वर-3 / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 24 अगस्त 2010 का अवतरण (सहमते स्वर-3 / शिवमंगल सिंह सुमन का नाम बदलकर सहमते स्वर-3 / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आज मैंने सुई में डोरा डाल लिया
उतनी ही बड़ी सिद्धि
जितनी जग जाती
एक कविता लिख लेने में।

विगत अड़तालीस वर्षों से
तुमने मुझे ऐसा
निकम्मा बना दिया कि
कुरता-कमीज़ में
बटन तक टाँकने का
सीखा सलीका नहीं।

कुछ भी करो
हँसने का मौक़ा तो
न दो औरों को।

तुम्हें ही दोषी
ठहराएंगी पीढ़ियाँ
सीढ़िया गढ़न में
तुमने सब वार दिया
कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया
मुझसे निठल्ले को।