http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%80_/_%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF_%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE&feed=atom&action=historyसहेली / दीप्ति गुप्ता - अवतरण इतिहास2024-03-28T12:16:49Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%80_/_%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF_%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE&diff=189727&oldid=prevLalit Kumar: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीप्ति गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2015-03-19T05:28:31Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीप्ति गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
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|रचनाकार=दीप्ति गुप्ता<br />
|अनुवादक=<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
'जीवन' मिला है जब से,<br />
तुम्हारे साथ जी रही हूँ तब से,<br />
तुम मेरी और मैं तुम्हारी<br />
सहेली कई बरस से,<br />
तुम मुझे 'जीवन' की ऒर<br />
धकेलती रही हो कब से,<br />
"अभी तुम्हारा समय नहीं आया"<br />
मेरे कान में कहती रही हो हँस के,<br />
जब - जब मैं पूछती तुमसे,<br />
असमय टपक पड़ने वाली<br />
तुम इतनी समय की पाबंद कब से? <br />
तब खोलती भेद, कहती मुझसे,<br />
ना, ना, ना, ना असमय नहीं,<br />
आती हूँ समय पे शुरू से,<br />
'जीवन' के खाते में अंकित<br />
चलती हूँ, तिथि - दिवस पे<br />
'नियत घड़ी' पे पहुँच निकट मैं<br />
गोद में भर लेती हूँ झट से! <br />
'जीवन' मिला है जब से,<br />
तुम्हारे साथ जी रही हूँ तब से!<br />
</poem></div>Lalit Kumar