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वे किसान की नई बहू की आँखें</div>
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मजदूर का जन्म</div>
  
 
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रचनाकार: [[सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]]
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रचनाकार: [[केदारनाथ अग्रवाल]]
 
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नहीं जानती जो अपने को खिली हुई --
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एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
विश्व-विभव से मिली हुई --
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हाथी सा बलवान,
नहीं जानती सम्राज्ञी अपने को --
+
जहाजी हाथों वाला और हुआ !
नहीं कर सकीं सत्य कभी सपने को,
+
सूरज-सा इन्सान,
वे किसान की नई बहू की आँखें
+
तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
ज्यों हरीतिमा में बैठे दो विहग बन्द कर पाँखें ;
+
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
वे केवल निर्जन के दिशाकाश की,
+
माता रही विचार,
प्रियतम के प्राणों के पास-हास की,
+
अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
भीरु पकड़ जाने को हैं दुनिया के कर से --
+
दादा रहे निहार,  
बढ़े क्यों न वह पुलकित हो कैसे भी वर से ।
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सबेरा करनेवाला और हुआ !!
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एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
 +
जनता रही पुकार
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सलामत लानेवाला और हुआ !
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सुन ले री सरकार!
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कयामत ढानेवाला और हुआ !!
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एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
 
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11:56, 1 अप्रैल 2014 का अवतरण

मजदूर का जन्म

एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
हाथी सा बलवान,
जहाजी हाथों वाला और हुआ !
सूरज-सा इन्सान,
तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
माता रही विचार,
अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
दादा रहे निहार,
सबेरा करनेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
जनता रही पुकार
सलामत लानेवाला और हुआ !
सुन ले री सरकार!
कयामत ढानेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !