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उनये उनये भादरे
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खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार</div>
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रचनाकार: [[नामवर सिंह]]
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रचनाकार: [[त्रिलोचन]]
 
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<div style="background: #fff; border: 1px solid #ccc; box-shadow: 0 0 10px #ccc inset; font-size: 16px; margin: 0 auto; padding: 0 20px; white-space: pre;">
उनये उनये भादरे
+
खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार
बरखा की जल चादरें
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अपरिचित पास आओ
फूल दीप से जले
+
कि झरती पुरवैया सी याद रे
+
मन कुयें के कोहरे सा रवि डूबे के बाद रे ।
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भादरे ।
+
  
उठे बगूले घास में
+
आँखों में सशंक जिज्ञासा
चढ़ता रंग बतास में
+
मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा
हरी हो रही धूप
+
जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं
नशे-सी चढ़ती झुके अकास में
+
स्तम्भ शेष भय की परिभाषा
तिरती हैं परछाइयाँ सीने के भींगे चास में ।
+
हिलो-मिलो फिर एक डाल के
घास में
+
खिलो फूल-से, मत अलगाओ
</poem>
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सबमें अपनेपन की माया
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अपने पन में जीवन आया
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19:38, 7 मार्च 2015 के समय का अवतरण

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार

रचनाकार: त्रिलोचन

खुले तुम्हारे लिए हृदय के द्वार अपरिचित पास आओ

आँखों में सशंक जिज्ञासा मिक्ति कहाँ, है अभी कुहासा जहाँ खड़े हैं, पाँव जड़े हैं स्तम्भ शेष भय की परिभाषा हिलो-मिलो फिर एक डाल के खिलो फूल-से, मत अलगाओ

सबमें अपनेपन की माया अपने पन में जीवन आया