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साँचा:KKPoemOfTheWeek

दर्द की रात ढल चली है

बात बस से निकल चली है
दिल की हालत सँभल चली है

अब जुनूँ हद से बढ़ चला है
अब तबीअत बहल चली है

अश्क ख़ूँनाब हो चले हैं
ग़म की रंगत बदल चली है

लाख पैग़ाम हो गये हैं
जब सबा इक पल चली है

जाओ, अब सो रहो सितारो
दर्द की रात ढल चली है

जुनूँ=दीवानगी;
अश्क=आँसू;
ख़ूँनाब=लहू के रंग