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तुम सामने आते हो पहलू बदल बदल कर

रचनाकार: सुरेश सलिल

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तुम सामने आते हो पहलू बदल-बदल कर बिजली-सी गिराते हो पहलू बदल-बदल कर

इस आइने में देखूँ - उस आइने में देखूँ कुछ राज़ छिपाते हो पहलू बदल-बदल कर

पहलू बदल-बदल कर इक़रार-ए-इश्क़ कैसा उँगली पे' नचाते हो, पहलू बदल-बदल कर

तुमको ही रिझाने को, ये सारी ग़ज़लगोई हर शे'र में आते हो, पहलू बदल-बदल कर

इर्शाद-ओ-मुक़र्रर की उम्मीद कौन बाँधे जब शमअ हटाते हो, पहलू बदल-बदल कर

(रचनाकाल : 2003)