साँची कहें तोरे आवन से हमरे
अंगना में आई बहार भौजी
लक्ष्मी सी सूरत ममता की मूरत
लाखों में एक हमार भौजी
तुलसी की सेवा चंदरमा की पूजा
कजरी जैसा अंगनवा में गूँजा
अब हमने जाना के फगवा सिवा भी
होते हैं कितने त्योहार भौजी
ये घर था भूतन का डेरा
जब से भया तुम्हरा पग फेरा
दुनिया बदल गई हालत सम्भल गई
अन धन के लागे भँडार भौजी
बचपन से हम काका कहि-कहि के हारे
कोई हमें भी तो काका पुकारे
देई दे भतीजा फुलवा सरीखा
मानेंगे हम उपकार भौजी