Last modified on 7 दिसम्बर 2012, at 17:10

सांपों को दूध पिलाने की / धनराज शम्भु

सांपों को दूध पिलाने की हमारी आदत हो गयी है
औरों के तले दब कर जीने की हमारी आदत हो गयी है

सुबह होठों से फूल झड़ते हैं शाम को छुरियाँ चलती हैं
हर प्रकार की वार सहने की हमारी आदत हो गयी है

नाक दबा कर हम हमेशा ही तेल पीते रहे हैं
सभी हजम कर जाते अब तो ज़हर की हमारी आदत हो गयी हैं

रोशनी भरे शहर में जीने से अब डर लगने लगा है
मातमी विरान में अब जीने की हमारी आदत हो गयी है

जी चाहता है कि सारी दुनिया के लिए फना हो जाएँ
अब तो जान हथेली पर रखने की हमारी अदत हो गयी है।