बर्फ़ अब भी गिरती है
और खालीपन भर-सा जाता है।
इस निर्जन शहर में
लोग ( शायद ) अब भी रहते हैं
क्योंकि --
पगडण्डियों पर
पाँवों के इक्का-दुक्का निशान हैं
कहीं-कहीं ख़ून के धब्बे
और एक अशब्द चीख़ भी ।
बर्फ़ अब भी गिरती है
और खालीपन भर-सा जाता है।
इस निर्जन शहर में
लोग ( शायद ) अब भी रहते हैं
क्योंकि --
पगडण्डियों पर
पाँवों के इक्का-दुक्का निशान हैं
कहीं-कहीं ख़ून के धब्बे
और एक अशब्द चीख़ भी ।