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"सात जुगां रौ लेखौ / रेंवतदान चारण" के अवतरणों में अंतर

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आयौ मेघ मांगनै लेग्यो, प्रीत करै सो भोळा रै;
 
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सेसनाग समदर में सूतौ, लेतो नीर हिबोळा रै;
 
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धूम तावड़ै कळभळ करती, तपती देखी धरती;
 
धूम तावड़ै कळभळ करती, तपती देखी धरती;
 
पांन-पांन रूंखां रा झड़ग्या, बेलड़ियां बळबळती;
 
पांन-पांन रूंखां रा झड़ग्या, बेलड़ियां बळबळती;

22:46, 3 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण

सेसनाग समदर में सूतौ, लेतौ नीर हीबोळा रै;
सागर लेखौ लेवतौ नै नागण गिणती छौळां रै;
लैर-लैर में धमचक लागी, पांणी जाय पाळ नै लड़ियौ;
काछव पूछ्यौ माछळी, कांई चूक पड़ी के घाटौ पड्यौ?

समदर देख्यौ सूरज कांनी, गरज्यौ तीर उछाळौ दै;
के दै चंदा गिगन बीचलौ, के परभाती तारौ दै;
भरी कचेड़ी भूंडौ लागै, पत राखण पतियारौ दै;
लियां-दियां सूं कांम सरै है, पाछौ नीर उधारौ दै;
सूंप्यौ माल सरप नीं खावै, तोप गिटै नीं गौळा रै;
सेसनाग समदर में सूतौ, लेतौ नीर हिबोळा रै।

लेण-देण री बातां मत कर, दुनियां सुणती करै तमासौ;
थारी नींव पताळां नीचै, म्हारौ थेट गिगन में बासौ;
लहरां लेती हियै हिलोळा, चलती चाल पलट्यौ पासौ;
प्रीत डोर में बंधगी किरणां, मोत भरोसै दियौ दिलासौ;
आयौ मेघ मांगनै लेग्यो, प्रीत करै सो भोळा रै;
सेसनाग समदर में सूतौ, लेतो नीर हिबोळा रै;

धूम तावड़ै कळभळ करती, तपती देखी धरती;
पांन-पांन रूंखां रा झड़ग्या, बेलड़ियां बळबळती;
पिणघट री पिणियार्यां विलखी, देखी हिवड़ौ भरती
सुण रे सरवर पांणी लेगी, माटी तिरसां मरती;
मोत्यां री झड़ बिरखा बरसी, भरग्या ताल पिछौला रे;
भावौ-भाव लियां जा पाछौ, किसी ताकड़ी तोळा रे;
सेसनाग समदर में सूतौ, लेतौ नीर हिबोळा रे।

धरती बोली म्हैं करसां नै, हळ ले खेत खड़ाया;
चीर काळजौ काया सूंपी, कण-कण बीज बवाया;
लोही सींच्यौ लीली राखी, म्हैं मोती निपजाया;
पाक्या जद तक की रखवाळी, करसां नै संभळाया;
पूंख-पूंख बोहराजी लेग्या, ठाकर लेग्या होळा रे;
सेसनाग समदर में सूतौ, लेतौ नीर हिबोळा रै।

सूरज मेघ समंदर माटी, बोली मौसा देती;
लांणत रे धरती रा करसा, लोग लूटग्या खेती;
देख रती भर रह नीं जावै, मिनख-मिनख में छेती;
चेत-चेत माटी रा मांणस, दुनियां जागी चेती;
भूखा मरता लुकता-झुकता, लाजै मिनख अडोळा रे;
सेसनाग समदर में सूतौ, लेतौ नीर हिबोळा रे।