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साथ चलते देखे हमने ... / देवी नांगरानी

साथ चलते देखे हमने हादसों के क़ाफ़िले।
राह में रिश्तों के मिलते रिश्वतों के क़ाफ़िले।

साथियों नें साथ छोड़ा इसका मुझको ग़म नहीं
साथ मेरे चल रहे हैं हौसलों के काफ़िले।

जाने क्यों रखती हैं मुझसे दुश्मनी आबादियाँ
साथ चलते हैं मिरे बरबादियों के क़ाफ़िले।

या नेक नामी से मेरी जलने लगी आबादियाँ
साथ में मेरे चले आज़ादियों के क़ाफ़िले।

बीच में रिश्तों के कोई तो कड़ी कमज़ोर है
टूटते हैं किस लिये यूं बंधनों के क़ाफ़िले।

हम कहां ढूंढे वो अपनापन वो आंगन प्यार का
खुद ब खुद बढ़ते रहे हैं उलझनों के क़ाफ़िले।