साथ जब से नहीं सबेरा है।
हर तरफ छा रहा अँधेरा है॥
राह कोई नहीं सुरक्षित अब
मोड़ पर हर खड़ा लुटेरा है॥
हाथ कोई नहीं सहायक सा
सिर्फ़ वीरानियों का' डेरा है॥
रात दिन घेरने लगी विपदा
रोज बेचैनियों का' फेरा है॥
आ भी जा साँवरे बिना तेरे
मोह की रागिनी ने घेरा है॥