Last modified on 4 मार्च 2020, at 14:59

साथ / राखी सिंह

मैने जितनी पुकार लगाई
वे सब मुझ तक वापस लौट आई हैं
नितांत सन्नाटे में मैं उन्हें सुनती हूँ

मेरी अकेली ध्वनि
मुझसे छूटकर भी
मुझे अकेला नहीं छोड़ती

मैने साथ रहने की जितनी कल्पना की है
और तुमने दावे,
उन सबमे
अकेलेपन ने ही सम्पूर्णतः
साथ निभाया है।