http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE_/_%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE&feed=atom&action=historyसार्थकता / शेफालिका वर्मा - अवतरण इतिहास2024-03-28T10:28:40Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE_/_%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%AB%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE&diff=162152&oldid=prevSharda suman: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेफालिका वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया2013-10-04T06:35:30Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेफालिका वर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया</p>
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{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
तुमसे अलग हो आज यह अनुभूति हुई<br />
साँस लेना ही ज़िन्दगी नहीं<br />
किन्तु<br />
जीवन की सार्थकता बनाना<br />
महती उद्देश्य होना चाहिये<br />
सार्थक?<br />
कैसे बनाऊँ प्रश्न छटपटाता रहा<br />
बेचैन सा<br />
पछवा पुरवा में लहराते पेड़ों की<br />
शाखा से पत्तों की<br />
लयात्मक गति से झर झर गिरने से<br />
बेला गुलाब की सुरभि से<br />
तुम्हारा संदेशा आ रहा था<br />
<br />
सार्थकता उद्देश्य नहीं<br />
जीवन की प्रक्रिया है<br />
अपनों का साथ<br />
एक दूसरे के सुख दुख में साँस लेना<br />
एक–दूसरे के आँसू पोंछने में ही जीने की<br />
सार्थकता है<br />
अपने लिए तो सभी जीते हैं<br />
पर तुम जिओ<br />
<br />
उस सूरज की तरह<br />
जो कभी अस्त नहीं होता<br />
धरती के इस छोर से उस छोर तक<br />
परिक्रमा करता रहता है<br />
सबों को रोशनी बाँटता है<br />
<br />
सबों को चैन देने में<br />
उसका जीवन<br />
सार्थक हो जाता है<br />
बादल लगते हैं<br />
कुहासा उसे ओट कर देता है<br />
किंतु<br />
वह कभी डगमगाता नहीं<br />
अपने कर्तव्य में<br />
अपने को सार्थक करने में<br />
सबों के जीवन को<br />
वह अडिग अटल है<br />
प्रतिपल प्रतिक्षण।<br />
</poem></div>Sharda suman