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सासरो छोड़यो देवी दूर, पीयर मेढ़ो रोपियो जी / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सासरो छोड़यो देवी दूर, पीयर मेढ़ो रोपियो जी।
तांवा खण्या रे तलाव, अमरित अम्बो मवरियो जी।।
रनुबाई हुआ पणिहार, वहा रड़ऽ सासर-वासेण जी।
की थारो पीयर दूर, की थारी सासू सौतेली जी।
नई म्हारो पीयर दूर, नई म्हारी सासू सौतेली जी।
हम पर ”सऊक को साल“, तेगुण रड़ऽ सासरवासेण जी।।
हेडूँ थारो ”सऊक को साल“,
बांझ घर पालणो झुलाड़सां जी।