Last modified on 16 अगस्त 2022, at 00:21

साहस बनाम दुस्साहस / भावना शेखर

ज़मीं की कोख में
बीज रोप देना
आषाढ़ का साहस है।

दुस्साहस है बादल का
किसी गांव पर फट जाना,
बिजली का गिरना,
ज्वालामुखी का फूटना।

गजराज पर महावत का अंकुश
साहस है,
दुस्साहस है
पंछी का घोंसला नोच लेना।

मोड़ देना दरिया को साहस है,
दुस्साहस किसी पेड़ की
धरती छीन लेना।

अजनबी मन मे हौले हौले दाखिला
साहस है,
पर दुस्साहस
किसी की आंखों के सपने जला लेना।

लत्तर को छत पर चढ़ा लेना
साहस है,
दुस्साहस
हरी दूब पर कंक्रीट बिछा देना।

साहस है
समंदर की लहरों पे थिरकना,
दुस्साहस
मछलियों पर जाल डालना,
कुदरत का दुपट्टा खींच लेना,
तितलियों के पर कतर देना,
प्रेम पर पहरा बिठाना।

इंसान को
कुदरत से मिला आज्ञापत्र है साहस।
दुस्साहस
हैवानियत की
पहली सनद है।