Last modified on 23 दिसम्बर 2014, at 21:33

सितारा / पाब्लो नेरूदा

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: पाब्लो नेरूदा  » संग्रह: मैं कई बार मर चुका हूंगा
»  सितारा

अरे, मैं कभी वापस नहीं गया
कचोट भी कोई नहीं है अब
वापस न जाने की ।
और बन्दरगाह को चूमती लहर
उसके जलमार्ग
नमक और जोंक की तरह
मैंने इस ख़ुदमुख़्तार ने
तट के इस टहलुआ ने
सौंप दिया ख़ुद को ।
ज़ंजीर बांध दी अपने आश्रय से ।

अब कोई आज़ादी नहीं हमारे लिए--
हम जो रहस्य के अंश-मात्र हैं,
कोई रास्ता नहीं बचा
खुदी तक
खुदी की चट्टान तक लौटने का ।
कोई सितारा बाक़ी नहीं बचा
सागर के सिवा ।