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सितारे / शरद कोकास
Kavita Kosh से
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अंधेरी रातों में
दिशा ज्ञान के लिए
सितारों का मोहताज़ होना
अब ज़रूरी नहीं
चमकते सितारे
रोशनी का भ्रम लिए
सत्ता के आलोक में टिमटिमाते
एक दूसरे का सहारा लेकर
अपने-अपने स्थान पर
संतुलन बनाने के फेर में हैं
हर सितारा
अपने ही प्रकाश से
आलोकित होने का दम्भ लिए
उनकी मुठ्ठी में बन्द
सूरज की उपस्थिति से बेख़बर है।