Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार अनिल
|संग्रह=और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल
}}
{{KKCatGhazal‎}}‎
<poem>सिर्फ मेरा ही नहीं था ये शहर तेरा भी था
तूने लूटा खुद जिसे ऐ दोस्त घर तेरा भी था
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits