सिवजू की निध्दि, हनूमान की सिध्दि,
बिभीषण की समृध्दि, बालमीकि नैं बखान्यो है।
बिधि को अधार, चारयौ बेदन को सार,
जप यज्ञ को सिंगार, सनकादि उर आन्यो है॥
सुधा के समान, भोग-मुकुति-निधान,
महामंगल निदान, 'सेनापति पहिचान्यो है।
कामना को कामधेनु, रसना को बिसराम,
धरम को धाम, राम-नाम जग जान्यो है॥