भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सीख / रूपसिंह राजपुरी

1 byte added, 03:55, 18 अक्टूबर 2013
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>बरसना है तो रामजी ढंग स्यूं बरसो,
गाजण-गूजण में के पड़यो है ।
पति न परमेशर मानो ए पत्नियों,
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,087
edits