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सीझ कर धरती की सब मिट्टी गलाना / पूजा श्रीवास्तव
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सीझ कर धरती की सब मिट्टी गलाना
चाहती हूँ फिर नया सा घर बनाना
चाँद माथे पर सितारे ओढ़नी में
यूँ सजाओ तुम मुझे गर है सजाना
एक जैसा है नज़र में आब रखना
और किताबों में तुम्हारे ख़त छिपाना
फूँक भी सकती हैं तुमको औरतें तुम
हाथ इन चिंगारियों को मत लगाना
किस कदर मुश्किल है उस बादल से पूछो
एक बंजर दिल में उम्मीदें उगाना