Changes

करता है बसर सीने में जादू सा कोई शख़्स / संकल्प शर्मा का नाम बदलकर सीने में बसर करता है ख़ुशबू सा को
लहराता है उलझे हुए गेसू सा कोई शख़्स।
शाख ऐ बरगद का शजर को देख के वो याद बहुत आयादेखा तो इक हूक सी उट्ठी , जब बि बिछड़ा था मुझसे मिरे बाजू सा कोई शख़्स।
ग़ज़लों की बदौलत ही तो वो मुझमें बसा है