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सीमा सीमा सीमा सहने की भी है कोई सीमा / रविन्द्र जैन

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सीमा सीमा सीमा सहने की भी है कोई सीमा
सीमा पे सिपाही बैठा है ज़रा बोल धीमा धीमा

कुछ लोग यहाँ पर लेते हैं कानों का नज़र से काम
नादान तू दीवानों की तरह क्यूँ लेता है मेरा नाम
सीमा ओ सीमा ओ सीमा धीरज की भी है कोई सीमा
बेहतर है कि हम तुम करवा लें अब चल कर अपना बीमा
सीमा ...

तुम सर से लेकर पाँव तलक लगती हो मुझे ??? रात
अंजान पे भी ज़रा रखना नज़र फिर करना कोई आघात
सीमा सीमा सीमा चुप रहने की है कोई सीमा
कोइ भेद अगर खुल जाए कहीं तो बन जाएगा कीमा,
सीमा ...