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सीरतों में हम / रचना उनियाल

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रहें इंसान की इंसानियत की सीरतों में हम,
यही अपनी तमन्ना है रहेंगे दोस्तों में हम।

कभी मासूम आँखों दर्द को ग़र पढ़ लिया हमने,
मिटा कर दर्द को उसको रहेंगे बरकतों में हम।

कभी हो जाये ऐसा देख लें तुमको नज़र भर के,
रहेंगे तब तुम्हारी हसरतों की बरकतों में हम।

करेंगे रुखसती जब देख जी भर इस ज़माने को,
रहेंगे हम सदा औलाद की हर सूरतों में हम।

बनायेंगे जहाँ अपना लिखेंगे क़िस्मतें अपनी,
कहे ‘रचना’ चलेंगे ख़ुद बनाये रास्तों में हम।