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सुण मरवण / हरिमोहन सारस्वत

3 bytes removed, 07:32, 17 अगस्त 2020
घड़ी स्यात
अर जीवां कीं सांसा
फगत आप सारू.
कै नाम तो अवस है आपणा
इण लाम्बी सी जिया जूण माथै
जिण में सूंपिज्यो
तन्नै अर मन्नै
बस हंकारै भरणै रो काम. 
आपां सुणता रया
जिकी बैे परूसता रया
रोटी जिम्यां रै पछै
डकार लेवण सारू.
ना बात आपणी ना कहाणी
बस हंकारो
कै कठई बै रूस नीं जावै.
इण अणचिन्ती चिन्ता मांय
आपांरा चैरा कद बुझ्या
अर काळा केस कद होग्या धोळा
ओ ठाह ई नीं लाग्यो. 
पण आज जद चाणचकै...
बगत रै काच साम्ही
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