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सुनकर तुम्हारी चीज हूँ / माखनलाल चतुर्वेदी

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सुनकर तुम्हारी चीज हूँ
रण मच गया यह घोर,
वे विमल छोटे से युगल,
थे भीम काय कठोर;

मैं घोर रव में खिंच पड़ा
कितना भयंकर जोर?
वे खींचते हैं, हाय!
ये जकड़े महान कठोर।

हे देव! तेरे दाँव ही
निर्णय करेंगे आप;
उस ओर तेरे पाँव हैं
इस ओर मेरे पाप।