Last modified on 17 नवम्बर 2020, at 22:08

सुनते ही शिशु का रुदन / रामगोपाल 'रुद्र'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:08, 17 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामगोपाल 'रुद्र' |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुनते ही शिशु का रुदन, प्रसू की छाती में
लगता है दूध उमड़ने, ममता के मारे;
मेरे ये आत्मनिवेदन के निश्छन्‍द छन्‍द
सुनते ही तेरा प्यार उमड़ आए प्यार!