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"सुनरहे हैं न आप / संतोष श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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कल रात भर  
 
कल रात भर  
समंदर मुझे पुकारता रहा
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समन्दर मुझे पुकारता रहा
दबे पांव उसकी आहट  
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दबे पाँव उसकी आहट  
 
मेरे ज़ेहन से टकराती रही  
 
मेरे ज़ेहन से टकराती रही  
 
सुबह देखा तो बस  
 
सुबह देखा तो बस  
 
दूर तलक पानी का विस्तार  
 
दूर तलक पानी का विस्तार  
कहां है इस आवाज की शक्ल
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कहाँ है इस आवाज़ की शक़्ल
 
जो रात भर मुझे  
 
जो रात भर मुझे  
 
अपने पाश में  
 
अपने पाश में  
 
जकड़ती चली गई थी  
 
जकड़ती चली गई थी  
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मैं देख रही हूँ अनझिप  
 
मैं देख रही हूँ अनझिप  
 
पानी पर उमड़ती लहरें
 
पानी पर उमड़ती लहरें
 
जिस पर लहरा रहा  
 
जिस पर लहरा रहा  
मेरा ,आपका ,हम सबका भविष्य
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मेरा, आपका, हम सबका भविष्य
क्योंकि सत्ता भी बेशक्ल है  
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क्योंकि सत्ता भी बेशक़्ल है
उसकी भयानक आवाज
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उसकी भयानक आवाज़
 
सुन रहे हैं न आप ???
 
सुन रहे हैं न आप ???
 
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02:59, 19 जून 2019 के समय का अवतरण

कल रात भर
समन्दर मुझे पुकारता रहा
दबे पाँव उसकी आहट
मेरे ज़ेहन से टकराती रही
सुबह देखा तो बस
दूर तलक पानी का विस्तार

कहाँ है इस आवाज़ की शक़्ल
जो रात भर मुझे
अपने पाश में
जकड़ती चली गई थी

मैं देख रही हूँ अनझिप
पानी पर उमड़ती लहरें
जिस पर लहरा रहा
मेरा, आपका, हम सबका भविष्य
क्योंकि सत्ता भी बेशक़्ल है
 
उसकी भयानक आवाज़
सुन रहे हैं न आप ???