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सुना है ख़ूब बँटती है दौलत, रमज़ान के महीने में / शमशाद इलाही अंसारी

सुना है खू़ब बँटती है दौलत, रमज़ान के महीने में,
मयक़दे से बहती है नियामत, रमज़ान के महीने में।

जाम भर-भर के पिलाओ यारों कि तिश्नगी अब न रहे,
सुना है बरसती है रहमत हर सू, रमज़ान के महीने में।

मयकशों जम के पियो,खूब पियो इस पूरे महीने में,
यकीं रखो, होती है हर मुराद पूरी, रमज़ान के महीने में।

होश में आया गर "शम्स" तो साक़ी तेरी रुसवाई है,
बस पी लेने दे, जी लेने दे मुझे, रमज़ान के महीने में।


रचनाकाल: 28.09.2007