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सुनो, मैने तुमसे कहा / अनिता भारती

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सुनो, मैने तुमसे कहा —
ये भीमराव बाबा है ।
तुमने कहा — हां, ये हमारे भीम बाबा हैं,
और झट उतारने लगे उनकी आरती

तुमने खूब पहनाए उन्हें हार
और खूब चढ़ाई धूपबत्तियाँ
जबकि तुम्हारे पास खडा था
उम्मीद से घिरा एक बच्चा
और दूर से दिखता एक स्कूल
जिसमें चली जा रही थीं
बच्चों पर बच्चों की कतारें
वह भी उसके पास जाना चाहता था
उसमें बैठना चाहता था

क्या यह तुम्हारे लिए सचमुच ही
नामुमकिन था कि वह जा पाए स्कूल
औरों की तरह
पर छोड़ो…

तुम ले आए थे बाबा को बाज़ार में
लगा रहे थे बोली
कह रहे थे — देखो-देखो
हमारे बाबा ने झेली थी
दुख-तकलीफ़ें
जो तुमने दी थी उन्हें
अब तुम्हें भरना पडेगा उन सबका हर्जाना

उनकी तकलीफ़ों के पहाड़
बदल रहे थे तुम्हारी
देश-विदेश यात्राओं की टिकटों में
कर रहे थे तुम विदेश यात्राएँ
बोल रहे थे सभा-सम्मेलनों में
धिक्कार रहे थे उन्हें
जो सदियों से कर रहे थे अत्याचार

पर तुम्हारे पास एक अत्याचारग्रस्त
औरत खड़ी थी
लेकिन तुम्हारी आँखे उसकी पीड़ा से दूर
आसमान पर टिकी थीं
जो तुम्हें अभी मिलना बाक़ी था

अब तुम बाबा को
घसीट लाए हो
व्यापार में

लोगों को बाबा के अपनाने के
लाभ-हानि सिखा रहे हो
सिखा रहे हो उनको
सूद की तरह लाभ बटोरना
जबकि तुम्हारे पास तुम्हारे
भाई-बहन भूख से बिलख रहे है

हासिल है तुम्हें बिजनेस यात्राएँ
अपने उन्ही भूखे भाई- बहनों के बूते

बाबा के तमाम उपलब्धि-भरे चित्र
गले में, हाथ में, लाकेट में
गले पर लटकाए या फिर
क़ीमती बक्से में सहेज कर धरे
ठीक एक स्वर्णकार की तरह
जो तुम्हारी ही तरह सिद्धान्हीतन लोगों को
चाहिए तुम्हारी ही तरह पहनने के लिए