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सुपणा / दीनदयाल शर्मा

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गांम री गळ्यां
अर घरां री
छातां माथै
खिड़की जंगळां में झांकता
अर भींतां माथै बैठ्या
भांत-भांत रा
पाट्या पुराणां गाभा पैर्यां
अै' भोळा-भाळा टाबर
जिका
जातरियां री आंख्यां में जोवै
गम्योड़ौ लाड'र प्यार
आपरै नान्है नान्है हाथां नै
इन्नै-उन्नै हलाय'र
पण
पड़ूतर में बा'नै मिलै
फकत
धूंवैं रौ भतूळियौ
जिकौ
ले ज्यै बां'रा
मखमली सुपणां
अर दे ज्यै
घिरणा रा बीज ।