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सुबह-सुबह / नीता पोरवाल

इश्श...
सुबह-सुबह
सड़कों पर जाना तो
ज़रा दबे पाँव जाना

सड़कें
रात के अबोलेपन से
उकताई
इस समय
मगन हो सुन रही होती हैं बातें
स्कूल जाते बच्चों की

वे निहारती हैं
रंग-बिरंगी पोशाकों में
जगह-जगह
बस का इंतजार करते
बच्चों को

साथ ही
जल्दी-जल्दी
तैयार भी होती जाती हैं
सड़कें

देखना
अभी बस आएगी
तो बस में बच्चों के साथ
दबे पाँव
सड़क भी चली जायेगी