Last modified on 24 जनवरी 2011, at 02:38

सुरंगतटी रसखानमही धनकोशभरी यहु नाम रह्यो / गुमानी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:38, 24 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गुमानी }} {{KKCatKavita}} <poem> सुरंगतटी रसखानमही धनकोशभरी …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुरंगतटी रसखानमही धनकोशभरी यहु नाम रह्यो ।
पद तीन बनाय रच्यौ बहु विस्तार वेगु नहीं जात कह्यो ।
इन तीन पदों के बखान बस्यो अक्षर एक ही एक लह्यो ।
धनराज सुदर्शन शाहपुरी टिहिरी यदि कारन नाम गह्यो ।।