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सुवागीत (बारामासी) / राकेश तिवारी

अपन अपन घर ला लिपी-पोती डारव नारे सुवाना
के आवट हावय सुग्घर तिहार

सावन हरेली अउ राखी तिहारे नारे सुवाना
के भाई मन हा राखी बंधाय, नारे सुवाना

भादों मं तीजा-पोरा, क्वारे दसरहा नारे सुवाना
के बहिनी लिहे बर जाय, नारे सुवाना

दिन देवारी कातिक महीना नारे सुवाना
के अघ्घन मं लक्ष्मी मड़ाय, नारे सुवाना

पूसे अउ मांघे मं मातर मड़ई नारे सुवाना
के फागुन मंग रंगे उड़ाय नारे सुवाना

चईत मं रामनवमी, देबी जंवारा नारे सुवाना
के जगमग जोत जलाय, नारे सुवाना

बइसाख अउ जेठ म बरे बिहावे नारे सुवाना
के आषाढ़ मं रथे रेंगाय नारे सुवाना