Last modified on 11 सितम्बर 2016, at 21:54

सुसाइड बॉम्‍बर / गीत चतुर्वेदी

 कविता को उपयोगितावादी दृष्टिकोण से देखना मुझे नहीं पसन्द।

फिर भी मन में कई बार आता है ख़याल
कि कोई मानव-बम
बटन दबाना भूल जाए
कि उस समय वह कविता पढ़ रहा था

उसके बाद अपना बम उतार कर
ख़ुद एक मानव-कविता बन जाए
ताकि दूसरे बम उसे पढ़ सकें।