भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुहाना है यह बिछड़ता हुआ वर्ष / वाल्टर सेवेज लैंडर / तरुण त्रिपाठी

Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:00, 31 जनवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वाल्टर सेवेज लैंडर |अनुवादक=तरुण...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुहाना है यह बिछड़ता हुआ वर्ष, और मधुर
है इस बरसती फुहार की ये महक;
ज़िन्दगी गुज़रती है और अधिक उजड्ड वेग से,
और अ-आरामदेह है इसका ख़त्म होता दिन।

मैं इसके ख़त्म होने की प्रतीक्षा करता हूँ,
मैं चाहता हूँ इसका अंधकार,
किन्तु बिलख कर विनती करता हूँ,
कि नहीं टपकना चाहिए कभी
मेरी छाती पर या मेरी कब्र पर
वह आँसू जो ठीक कर सकता था ये सबकुछ ही