Last modified on 14 जून 2016, at 03:09

सूख रही है डाली / प्रदीप शुक्ल

लगातार
वो सुने जा रहा इनकी उनकी
सुन भी लो कुछ बातें
तुम बच्चे के मन की

बंद करो
टीवी बस
चलो किताब उठाओ
जाओ जाकर
पहले
अपना मुँह धो आओ
अभी अभी तो
विज्ञापन बस ख़त्म हुए हैं
टीवी पर चल रही कहानी
है टिन टिन की

खिड़की से
दिख रहे
उसे दो गिल्लू लेटे
धूप बहुत है
बाहर
अभी न जाना बेटे
गौरैय्या के
आगे पीछे दो गौरैय्या
चली जा रहीं
उछल उछल कर ठुनकी ठुनकी

अरे सुनो
तुम फिर
पचीस में बाईस लाये
चलो बताओ
बाकी
किस - किस के फुल आये
देखो तुमसे
स्पेलिंग फिर से गलत हुई है
सूख रही है डाली
कोई नंदन वन की।