फिर आ गये है फूल सूरजमुखी के
भोर के गुलाबी आईने में झांकते
चीन्हते
जानी-पहचानी धरती
जैसे द्वार पर पहुंचे हुए पाहुन
वे आ गये हैं
इस बार भी
अपने समय पर
जब सिर्फ सूचनाएं आ रही हैं हत्या की
बाढ़, अकाल और
महामारी में मरने वाले लोगों की
देखते-देखते एक बसे बसाये शहर के
धुएं और राख में बदलने की
ऐसे दुर्गम समय में
आ गये हैं
फूल सूरजमुखी के.