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सूरज-७ / ओम पुरोहित ‘कागद’

धार्मिक थे लोग
जीवन झौंकते
परन्तु
धर्म पालते !

इस बार के
अकाल में भी
लगा था
सूर्यग्रहण
परन्तु
लोग नहीं थे
जो करते दान
नहाते
ग्रहण के बाद !

स्वयंमेव मिट गया
सूरज का सूतक !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"