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सूरज कौंल (सूरज कुँवर) / भाग 2 / गढ़वाली लोक-गाथा

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जाँदी मऊ कू बेटा अडयी नि लांदी।
बिराणा देशा को बेटा गारो बैरी होन्दा,
नि जाणो कुंवर मेरा बैरयूंकी भकौणा।
मान जा सूरजू बेटा माता की अड्याई<ref>सलाह</ref>,
दानों<ref>बूढ़ों</ref> कू बोलियूं बाला ओला<ref>आँवला</ref> को सवाद।
तेरो होलो सूरजू बाला भिमलो बजार
कनि होली कुंवर तेरी नौरंगी तिवारी।
तेरि खोली गणेश वाला मुख च झूमदो,
तेरी भुली सुरजी बाला दणमण<ref>टप-टप</ref> रोंदा।
कुदेलो<ref>कौन देगा</ref> दिदाजी<ref>बड़े भाई</ref> भीमली को दैजो<ref>दहेज</ref>,
को ऋतु जणाली, को बसन्त बौडाली।
मिन जांणा सुरजी भुली<ref>छोटी बहन</ref> ताता लूहागढ़,
मी ल्हौलो सुरजी त्वीकू मल्यागिरी सोनो।
मल्यागिरि सोना की त्वीकू सोन चूड़ी गडौलो।
त्वी को लौलो सुरजी भुली भिमली को दैजो।
घर बौडी येजौली द्यीलो सरनामी दैजो।
त्वी ऋतु जणौलो त्वी बसन्त बौडोलो।
आज का भोल भुलो भौं कुछ ह्वेजैन,
मरदू को बचणो भुली चार दिन हुन्द।
त्वीतई<ref>तुको</ref> जिया<ref>माँ</ref> ब्वै बाला बुझौणो बुझौंद,
मान्याला सुरजू बेटा दाना<ref>बूढ़ों</ref> की अडज्ञयीं<ref>बात</ref>।
त्वी सणी कुंवर बाला नयो ब्यो करुंला,
नयो ब्यो करुंला नाम जोतरा धरुंला।
तेरी तिल्लू बाखरी बेटा छट-पट छयूंदा<ref>छींकना</ref>।
निल्हेणो सूरजू तिना जोतरा को भामो।
मैंन जाणा इजा ब्वै आज भोटन्त का राज,

मौरणो ह वैजाना इजा जोतरा का बाना<ref>बहाने</ref>
नयो ब्यऊ करीली तू सूरत कौक ल्हैली,
घर बौड़ी येजौजू इजा तिलू मारी खौलो,
भैं<ref>न जाने क्या कुछ</ref> कुछ ह्वैजैन जाण बालुरी भीटन्त।
त्वी तई इजा ब्वै बाला बुझौंणी बुझौंद,
तू जांदी सूरजू गुरु गोरख का पास,
बागुरी गोरख तेरी रकसा<ref>रक्षा</ref> करलो।
जैलागे सूरजू गुरु गोरख की धुनी,
गोरख की धुनी होला नौ नाथ की सिद्धी।
बारा नाम बैरागी सोल नाम संन्यासी।
गोरख का पास बाला अलक लगौंद,
तू बोल सूरजू बाला कै काम को आयो।
मैसणी देदणा गुरु सांबर<ref>सम्मोहन</ref> की विद्या।
बोकासी<ref>बोक्सा विद्या, यक्षिणी विद्या, आदमी जानवर बन जाये</ref> जाप देणा पंजाबी चुंगटी।
तै दिन गोरख त्वी कू समझौंण लागे,
तेरो माता को छई बेटा तु येको येकन्तू।
मान्याल सूरजू बाला भोटन्त नी जाणों,
सुपीना की बात जन बगड़ का माछा
जो गैना भोटन्त बाला घर बौड़ी नी आया।
तै दिन सूरजू बोदा भौं<ref>न जाने क्या कुछ</ref> कुछ ह्वे जैना,
मैंन जाणा गुरजी आज भोटन्त का राज।
जो बैरी जांचदा वैकू हत्यार भीड़ देदों,
जो माता जंचदी गुरु थाल छोड़ि देदों
तिरिया को जांचणौं मीकू मरणों ह्वे गये।
नौ दिन नौ राति रैगे गोरख का पास,
धूनी लगौद चला आसण बिछौंद।
गाड़ याले गोरख तिन हाथ ताल छुरी,
ताल-छुरी गाडू तैकि मूंड्यिाले।

रूपसी<ref>सुन्दर</ref> कन्दूणियं<ref>कान</ref> धनी खुरसानी चीरा<ref>कनफट</ref>,
पैरने सुरीज त्वीकु फटीक<ref>स्फटिक</ref> मुन्दरा।
सुफेद कपड़यूं भगोया चायांले,
पैराये गुरु त्वींकू भगोया मुड्वासी।
काँधू मां धर्याले तेरा खरवा की झोली,
एक हाथ देये तेरो तेजमली सोटा,
दूजा हाथ देये तेरा नौपुरी को बांस।
धर्याले बगल पर बगमरी आसण।
त्वीसणे दिाले बाला कानू को मंतर।
बोकसाडी<ref>यक्षिणी विद्या</ref> जाप देये कांवर की धूल,
साबर<ref>सम्मोहन</ref> की विद्या देये पंजाबी चुंगटी।
त्वीकुणे कुंवर जब बिपदा पड़ली,
मीकुणी सूरज तब याद करी याली।
ऐगये सूरज लौटी नौलाख कैंतुरी,
पकैदे जिया ब्वैं मींक द्वी पाथा<ref>आठ सेर</ref> कलेउ
चौपथा<ref>सोलह सेर</ref> सामल<ref>सामग्री</ref> मीक बाटा<ref>रास्ते</ref> को धरियाल<ref>रखना</ref>,
मिन जाँणा जिया ब्वै आज ताता लूहागढ़।
औडू नेडू ये जादी मेरी तेलिया बाड़णी,
लगैदे बाडणी<ref>तेलिन</ref> मेरी जुलफिऊंमा<ref>बाल</ref> तेल।
औडू नेडू देजादी मेरी हे माला धोबणीं,
लगैदे धोबड़ी मेरा कपड़ौ छुयेड़ों।
कपड़ि सजैदे मेरी तूमी जसो फूल,
मिन जाणा धोबणीं वे बांका भोटन्ता।
पैराले सूरजू तीन झिलमिलों<ref>दमकता</ref> जामो<ref>पहनावा</ref>,
ओडू नेडू बुलावा मेरी घोड़ी का बखड्या<ref>सईस</ref>।
गाड़ीदे बखड्या मेरी सुर्जमुखी घोड़ी,
मल्यो रंग घोड़ी मेरी सजाई देवा।

शब्दार्थ
<references/>