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सूरीनाम / रामदेव महाबीर

कौन सा देश
जैसा देश सूरीनाम है
देख लो लहराती खेती
बढ़ा खुद की शान
कोयल की कूक
मीठी और अमराई घनी
सुबह, दोपहर, शाम
चिड़ियों का चह-चहा गान है
मोर अपना नाचता है
एक सपना सा बना
बादलों को देखकर के
छोड़ती जो तान है
लहराती नदियाँ
गुंजाते गीत झरने जोर से
पर्वतों पर सीप चाँदी
और स्वर्ण समान है।।
फूल फल है
बाग-वन है
देश आखिर देश है
देश बस
अपनी खुशी का
जहाँ हर समान है
हम बनें अच्छे बनें
जो भी यहाँ इस देश में
देश तन है
देश धन है
देश जीवन प्राण हैं।