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सूळां रै हूवण रौ ध्यान / संतोष मायामोहन

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हो जावणाी चाऊं
म्हूं
कांटां सूं बिंध-बिंध’र
क्षत-विक्षत
लोई-झराण
म्हारी इणी मनस्यां आवै
म्हनै थांनै देख’र
फूल साथै
सूळ रै हूवण रौ ध्यान।